गुरु परिवार काशी पहुँच गया (Shri Guru Gobind Singh Ji) - Guru Family Reached Kashi

गुरु परिवार काशी पहुँच गया (Shri Guru Gobind Singh Ji)

उस समय तक पूरे देश में गुरु नानक के इस घर तथा गुरु तेग बहादुर जी की ख्याति इतनी फैल चुकी थी कि उन्हें हर नगर तथा हर गाँव में रुकना पड़ता। संगत को दर्शन देते और कीर्तन का प्रवाह चलता रहता। रास्ते में थोड़ा-थोड़ा समय वे वहीं रुकते जहाँ रात होती। इस तरह दानापुर से चलकर कई दिनों के बाद काशी पहुँचे, जो देश में पुरातन प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल है। गुरु तेग बहादुर यहाँ कई महीनों तक रुके थे। वह गुफा जहाँ उन्होंने तप किया था आज भी गुरुद्वारा के रूप में विद्यमान है। यहाँ ही बाला प्रीतम ने पुनः डेरा डाला।

उस समय यहाँ का सिख मत का मुखिया भाई गुरबख्स था। वह संगत सहित बहुत सी वस्तुएँ भेंट स्वरूप लेकर आया। बाला प्रीतम सभी की भेंट स्वीकार करते तथा साथ-साथ ही जरूरतमंदों के बीच उन वस्तुओं को बाँट देते। जब भाई गुरबख्स ने विनती की कि आप सभी कुछ तो बाँट रहे हो, आप भी कुछ स्वीकार करें तो बाला प्रीतम ने मुस्करा कर कहा कि आप प्रसन्न हैं कि प्रेम से लाये उपहार को मैं स्वीकार कर रहा हूँ और हमारी खुशी इसमें है कि ये वस्तुएँ जरूरतमंदों तक पहुँच जाएँ। यह बातें सुनकर सभी हैरान हो गये थे। सभी बाला प्रीतम को नमस्कार करने लगे। वे कई दिन यहाँ रहे। बड़े-बड़े विद्वानों से विचार-विमर्श हुआ। इसी काशी का दूसरा नाम बनारस है।

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