ऐतिहासिक स्थान-गोबिंद घाट - Historical Place Govindghat

ऐतिहासिक स्थान-गोबिंद घाट (Shri Guru Gobind Singh Ji)

पंडित शिव दत्त पहले तो ठाकुरों का पुजारी था तथा प्रतिदिन गंगा किनारे प्रातः काल में ठाकुरों की मूर्तियाँ रख कर पूजा करता था। पर जब से उसने अनुभव कर लिया था कि बालक गोबिंद वास्तव में प्रभु की भेजी हुई विशेष आत्मा है तभी से उसने अन्तर्ध्यान होकर उनकी पूजा करनी प्रारम्भ कर दीं। ध्यान लगाकर ‘बाला प्रीतम’ के दर्शन करता। बालक गोबिंद भी उसकी श्रद्धा देखकर सुबह-सुबह घाट पर आ जाते तथा पंडित शिव दत्त को साक्षात दर्शन देते। जिस दिन बालक गोबिंद नहीं आते, पंडित शिवदत्त शाम को फतह चंद के घर मैणी संगत में पहुँच जाता। कुछ भी हो जाये वह उनके दर्शन किये बिना घर नहीं जाता था। ब्राह्मण लोग शिवदत्त से नाराज हो गये कि उसने ठाकुरों की पूजा के स्थान बालक गोबिंद की पूजा करनी क्यों प्रारम्भ कर दी है, पर शिवदत्त ने किसी की परवाह नहीं की। वह अपनी धुन और श्रद्धा में लगा रहा।उसकी अन्तरात्मा इससे सन्तुष्ट तथा प्रसन्न थी और वह इसी में आनन्द अनुभव करता था।

जिस घाट पर प्रातः काल ‘बाला प्रीतम’ शिव दत्त को दर्शन दिया करते थे उसका नाम ‘गोबिंद घाट’ पड़ गया। आजकल वहाँ शानदार यादगार बनी हुई है।

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