इसी समय नौ साल के बालक गोबिंद अपने पिता के पास बैठ कर बड़ी गम्भीरता के साथ पूरी बात सुन रहे थे। उत्तर सुनकर वे बोले-‘आप से बड़ी आत्मा और कौन-सी है। गुरु तेग बहादुर जी अपने लाडले बेटे से यह सुनना ही चाहते थे, इसलिए उन्होंने तुरन्त कहा-‘जाओ, जाकर कश्मीर के हाकिम द्वारा यह संदेश दिल्ली पहुँचा दो कि यदि गुरु तेग बहादुर को धर्म परिवर्तन के लिए तैयार कर लिया जाये जो हम सभी हिन्दू धर्म परिवर्तन कर लेंगे, इस्लाम कबूल कर लेंगे।’
कश्मीरी पंडित संतुष्ट हो गये और नमस्कार करके चले गये। गुरु तेग बहादुर ने उसी समय आदेश दिया कि उनकी यात्रा की तैयारी की जाये। हम दिल्ली से बुलावा आने से पहले ही जाना चाहते हैं। बाला प्रीतम श्री गोबिंद राय की ओर देखकर बड़े प्यार से उन्हें थपथपाया और कहा कि उत्तरदायित्व सम्भालने के लिए वे तैयार हो जायें। कश्मीरी पंडितों के वापस जाने के कुछ दिनों बाद ही गुरु जी आनन्दपुर से काफी संगत के साथ चल पड़े।