कश्मीरी पंडित आनंदपुर आये (Shri Guru Gobind Singh Ji) - Kashmiri Pandit Came to Anandpur

कश्मीरी पंडित आनंदपुर आये (Shri Guru Gobind Singh Ji)

यह घटना 1675 ई० की है। उस समय भारत में औरंगजेब का राज्य था। वह हिन्दुओं को जबरदस्ती ( बलपूर्वक) मुसलमान बनाने लगा। जगह-जगह मन्दिर गिरा कर मस्जिदों का निर्माण होने लगा। हिन्दुओं के धार्मिक चिह्न जनेऊ तथा तिलक उतारे जाने लगे। जब मुगल बादशाह के इस आदेश का कश्मीर का गवर्नर अधिक सख्ती से पालन करने लगा तब कश्मीर के पंडितों का एक प्रतिनिधि मंडल इस संकट का समाधान ढूंढने के लिए गुरु तेग बहादुर जी के दरबार आनन्दपुर आया। उन्होंने आकर अपनी समस्या तथा दुख को बताया। गुरु साहिब ने सोचा कि यदि इन्हें कोई मार्ग न बताया तो ये धर्म त्याग देंगे या मारे जायेंगे। इसलिए गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि यह संकट तभी टलेगा जब कोई महापुरुष या आत्मा इस अत्याचार के विरुद्ध अपना बलिदान देगा।

इसी समय नौ साल के बालक गोबिंद अपने पिता के पास बैठ कर बड़ी गम्भीरता के साथ पूरी बात सुन रहे थे। उत्तर सुनकर वे बोले-‘आप से बड़ी आत्मा और कौन-सी है। गुरु तेग बहादुर जी अपने लाडले बेटे से यह सुनना ही चाहते थे, इसलिए उन्होंने तुरन्त कहा-‘जाओ, जाकर कश्मीर के हाकिम द्वारा यह संदेश दिल्ली पहुँचा दो कि यदि गुरु तेग बहादुर को धर्म परिवर्तन के लिए तैयार कर लिया जाये जो हम सभी हिन्दू धर्म परिवर्तन कर लेंगे, इस्लाम कबूल कर लेंगे।’

कश्मीरी पंडित संतुष्ट हो गये और नमस्कार करके चले गये। गुरु तेग बहादुर ने उसी समय आदेश दिया कि उनकी यात्रा की तैयारी की जाये। हम दिल्ली से बुलावा आने से पहले ही जाना चाहते हैं। बाला प्रीतम श्री गोबिंद राय की ओर देखकर बड़े प्यार से उन्हें थपथपाया और कहा कि उत्तरदायित्व सम्भालने के लिए वे तैयार हो जायें। कश्मीरी पंडितों के वापस जाने के कुछ दिनों बाद ही गुरु जी आनन्दपुर से काफी संगत के साथ चल पड़े।

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