
20August
माई से अनोखी खेल (Shri Guru Gobind Singh Ji)
घर के पास ही एक निर्धन माई (औरत) रहती थी जो चरखा कात कर गुजारा करती थी। बड़ी कठिनाई से उसे दो वक्त का अन्न मिलता था। बाल गोबिंद सिंघ जी जब उधर से गुजरते तो उसका काता हुआ सूत तथा पूनियाँ बिखेर देते। यह शरारत करके वे घर आ जाते। दूसरी बार जब उन्होंने ऐसा किया तो वह औरत शिकायत करने माता गुजरी जी के पास आई। माता जी ने पर्याप्त धन देकर उसे खुश कर दिया और वह आशीर्वाद देती हुई वापस चली गई। ऐसा कई बार हुआ। अन्त में माता जी ने पूछा- “बेटा जी, आप ऐसा क्यों करते हैं?’ तो मुस्करा कर बालक गोबिंद सिंघ जी ने कहा-“मैं तो उसकी निर्धनता दूर कर रहा हूँ। आप उसे जो दे रहे हैं वह उसकी कई महीनों की कमाई से भी अधिक है। माता जी समझ गये कि यह अनोखा कौतुक वे किसी उद्देश्य से ही कर रहे हैं।