एक दिन कुछ श्रद्धालु औरतें आईं तथा बाहर खेल रहे बालक गोबिंद सिंह की प्रेम से प्रशंसा करने के उपरान्त कहने लगीं कि उनके साथ एक बीबी (स्त्री) आई है जिसकी इच्छा है कि उसकी गोद में भी बच्चा खेले। आप आशीर्वाद दें। बालक गोबिंद सिंघ ने समझदार व्यक्ति की तरह कहा कि यदि इसके भाग्य में हुआ तो बेटा हो जायेगा। वह पुत्र को जन्म दे, मैं ऐसा क्यों कहूँ।
वह बीबी एक दिन फिर कुछ औरतों को लेकर माता गुजरी के पास आई और कहने लगीं कि वे गुरु जी से आशीर्वाद ले दें। माता गुजरी जी ने बेटे को बड़े प्यार से पास बुलाया और कहा कि ये आपके गुरुदेव पिता के सिख (शिष्य) हैं। इन्हें आशीर्वाद दो कि इनके घर बेटा हो।
‘आशीर्वाद ऐसे तो नहीं मिलता है’ बालक गोबिंद सिंघ ने उत्तर दिया, ‘ये बेड़ियों (किश्तियों) वाले हैं। एक सुन्दर सी बेड़ी (नाव) मुझे दे दें तो एक नहीं, पाँच बेटे ले लें।’ वे सब बहुत प्रसन्न हुई। बीबी ने माथा टेकते हुए कहा कि ‘एक सुन्दर नाव आपको मिल जायेगी। बालक गोबिन्द सिंघ ने हाथ में पकड़ी हुई छड़ी उसके सिर पर रख दी।
घर जाकर उसने अपने पति को बताया तो उसने तुरन्त एक सुन्दर नाव बालक गोबिंद सिंघ को भेंट में दे दी। कुछ समय के बाद उसके घर लड़का हुआ और फिर एक के बाद एक पाँच बेटों का जन्म हुआ।