श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी की जीवनी (Shri Guru Gobind Singh Ji)

श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी की जीवनी (Shri Guru Gobind Singh Ji)

गुरु गोबिंद सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु हैं। गुरु नानक देव जी की ज्योति इनमें प्रकाशित हुई, इसलिए इन्हें दसवीं ज्योति भी कहते हैं।

गुरु गोबिंद सिंघ जी का जन्म ( अवतार) 1666 ई० को बिहार राज्य की राजधानी पटना नगर में हुआ। आप नवम् गुरु तेग बहादुर जी की एकलौती सन्तान थे। गुरु जी की माता का नाम माता गुजरी था।

श्री गुरु तेग बहादुर जी ने गुरु गद्दी पर बैठने के उपरान्त एक नया नगर आनंदपुर बसाया। उसके बाद वे भारत की यात्रा पर चल पड़े। जिस तरह गुरु नानक देव जी ने सारे देश का भ्रमण किया था, उसी तरह उन्हें भी आसाम जाना पड़ा। स्थान-स्थान पर सिख संगत स्थापित हो चुकी थी। गुरु तेग बहादुर जी जब अमृतसर से आठ सौ मील दूर गंगा नदी के तट पर बसे शहर पटना पहुँचे तो सिख संगत ने बहुत प्यार प्रकट किया तथा उनसे विनती की कि वे लम्बे समय तक पटना में ठहरें। नवम् गुरु अपने परिवार को वहीं छोड़कर बंगाल होते हुए आसाम की ओर चले गये।

पटना में वे अपनी माता नानकी, सुपनी माता गुजरी तथा कृपाल चंद को छोड़ गये। कृपाल चंद जी माता गुजरी के भाई थे। पटना की संगत ने गुरु परिवार के रहने के लिए एक सुन्दर भवन का निर्माण करवाया, जहाँ गुरु गोबिंद सिंघ जी का जन्म हुआ। तब गुरु तेग बहादुर जी को आसाम में सूचना भेजी गई। पंजाब में जब गुरु तेग बहादुर जी के घर सुन्दर बालक के जन्म की सूचना पहुँची तो सिख संगत ने बहुत खुशी मनाई।

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