श्री गुरु हरगोबिन्द जी - Shri Guru Hargobind Sahib Ji

बाबा श्री चन्द जी से भेंट (Shri Guru Hargobind Ji)

श्री गुरू हरिगोविन्द जी दूसरे युद्ध में विजयी होने के पश्चात् प्रचार दौरे के अन्तर्गत विचरण कर रहे थे तो उन्हें बताया गया कि निकट ही बाट नामक ग्राम हैं, यहाँ श्री गुरू नानक देव जी के बड़े सुपुत्रा श्री चन्द जी निवास करते हैं आप जी के दर्शन करने के विचार से उनके यहाँ पहुँचे । उस समय आप के दो बड़े बेटे गुरूदित जी तथा सुरजमल आप के साथ ही थे। बाबा श्री चन्द जी की आयु उन दिनों १३८ वर्ष की थी। श्री चन्द जी, गुरूदेव के बेटों को देखकर अति प्रसन्न हुए, आप जी ने गुरूदेव से प्रश्न किया, आप के कितने पुन्ना हैं तो गुरूदेव ने उत्तर दिया, पाँच थे, किन्तु एक का देहान्त हो गया है। इस पर श्रीचन्द जी कहने लगे कि इन में से हमारे को भी कोई मिल सकता है ? गुरूदेव ने उत्तर दिया, सभी आप के ही हैं, जिसे चाहे ले सकते हैं गुरदिता जी की रूपरेखा कुछ कुछ श्री गुरूनानक देव जी से मिलती थी। अतःश्रीचन्द जी ने कहा – कृपया आप अपना बड़ा सुपुत्रा हमें दे दीजिए। गुरूदेव ने तुरन्तसहमति दे दी।

बाबा श्री चन्द जी ने साहबजादे गुरूदिता को सामने से उठाकर अपने आसन पर बिठा दिया और कुछ उदासी सम्प्रदाय के चिन्ह, खड़ाएं बैरागनी, भगवे कपड़े इत्यादि उन्हें दिये और कहा यह सुपुत्रा आज से हमारा उत्तराधिकारी हुआ। गुरू नानक की गददी तो पहले ही आप के पास है, हमारे पास जो फकीरी थी, वह भी आप ही को सौंप दी है। उन दिनों श्री चन्द जी के चार प्रमुख प्रचार केन्द्र थे। उनको घूणियां कहा जाता था। सा । सन्यासीयों द्वारा भक्ति करते समय तापने वाली आग जिसमें से सदैव धुंआ निकलता रहता है अर्थात घूणियाँ, इन चार घूणियों के प्रमुखों के नाम इस प्रकार हैं – बाबा अलमसत जी, दूसरे बाबा बालू हसणा जी, तीसरे बाबा गोइंदा जी तथा चौथे बाबा फूल जी ।

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