इस पर गुरूदेव ने उत्तर दिया कि श्री गुरू नानक देव जी ने केवल माया त्यागी थी, सँसार नहीं –
हमारा सिद्धान्त है :
बातन फकीरी जाहिर अमीरी शस्त्रा गरीब की रक्षा । जालम की भृक्षा।
समरथ रामदास इस उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए और कहा – यह बात हमारे मन भावति है। यहां से यह गुरूमति सिद्धान्त उन्होंने पल्ले बाँध लिया और समय मिलते ही अपने परम शिष्य शिया को शस्त्रा उठाक र धर्म युद्ध करने की प्रेरणा दी।