श्री गुरु हरगोबिन्द जी - Shri Guru Hargobind Sahib Ji

सुलक्षणी देवी की मनोकामना फलीभूत (Shri Guru Hargobind Ji)

पंजाब का एक ग्राम जिस का नाम चब्बा था, वहां एक महिला के कोई सन्तान नहीं हुई। उसने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बहुत से उपचार भी किये और अनेक धार्मिक स्थलों पर सन्तान प्राप्ति के लिए प्रार्थनाएं भी की। अनेको आध्यात्मिक पुरूषों के पास अपनी याचना लेकर पहुँची किन्तु उत्तर मिला – माता तेरे भाग्य में सन्तान सुख नहीं लिखा, अतः आप संतोष करे। किन्तु महिला के हृदय में धैर्य कहां- वह सदैव चिन्तित रहने लगी। धीरे धीरे उसकी आयु भी प्रोढ़ावस्था के निकट पहुंचने लगी। एक दिन उसकी एक सिक्ख से भेंट हुई। उसने उस महिला को सिखाया कि आप श्री गुरू नानक देव जी के छटे उत्तराधिकारी श्री गुरू हरिगोविन्द जी के पास प्रार्थना करो, किन्तु हो सकता है वह भी तुम्हें यही कह दे कि माता तेरे भाग्य में सन्तान सुख नहीं। अतः आप युक्ति से उनके दर पर जाकर याचना करें, शायद बात बन जाएगी।

इस महिला का नाम सुलक्षणी था। उसने सिक्ख से युक्ति को ध्यान से समझा और विशेष तैयारी करके वह प्रतीक्षा करने लगी। एक दिन उसे मालूम हुआ कि श्री गुरू हरिगोविन्द जी चब्बे ग्राम के निकट जंगलों में शिकार खेलने आए हुए हैं, वह तुरन्त उनका रास्ता रोकर खड़ी हो गई। गुरूदेवके पूछने पर कि आप को क्या चाहिए? तो सुलक्षणी ने बहुत आत्म विश्वास से याचना की – हे गुरू नानक देव के उत्तराधिकारी मेरी कोख हरी होनी चाहिए, नहीं तो मैं इस संसार से नपूती चली जाऊँगी। गुरूदेव ने उसे ध्यान से देखा और कहा – माता तेरे भाग्य में सन्तान सुख नहीं लिखा। इस पर सुलक्षणी ने तुरन्त कलम दवात तथा कागज आगे प्रस्तुत कर दिया और कहा – हे गुरूदेव ! आप और प्रभु में कोई अन्तर नहीं। यदि मेरे भाग्य में पहले नहीं लिखा तो कोई बात नहीं, आपकृपा करें और अब लिख दें। इस निर्धारित युक्ति को देख गुरूदेव मुस्कराए और उन्होंने माता से कागज लेकर उस पर एक १ लिखना प्रारम्भ ही किया था उनके घोड़े ने टांग हिला दी, जिससे गुरूदेव की कलम हिलने से एक का सात अंक बनगया। उसे गुरूदेव ने कहा – लो माता तुम एक पुत्रा चाहती थी किन्तु विधाता को कुछ और ही मन्जूर है, अब तुम्हारे यहाँ सात पुत्रा जन्म लेंगे। गुरूदेव का वचन पूर्ण हुआ। कुछ समय पश्चात् माता सुलक्षणी के यहां क्रमशः सात पुत्रा हुए जो गुरू नानक देव जी के पंथ पर अपार श्रद्धा भक्ति रखते थे।

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