साखी सर्प की - Nanak and the Cobra

साखी सर्प की

यह लीला संवत् १५३५ वैसाख मास की है। जब श्री गुरु नानक देव जी महाराज गाय-भैंसे चरा रहे थे। दोपहर के समय गुरु देव एक वृक्ष की छाया में बैठ गये। भैंसें छाया में बैठ गईं। तब गुरु जी एक वस्त्र बिछा कर लेट गये। सूर्य देव कुछ पश्चिम की ओर हुए तो गुरु जी के मुख पर धूप आ गई। पसीने की बूंदें मुख पर मोतियों की भांति झलकने लगीं। उस समय शेषनाग अपना स्वामी सोया देख कर आया और अपने फन को फैला कर गुरु जी के मुख पर छाया कर दी। देव योग से राय बुलार अपने कुछ सिपाहियों के साथ उसी ओर आया जहां नानक देव सो रहे थे। देखा कि नानक सो रहे हैं और फणिहर सांप छाया कर रहा है। राय बुलार ने कहा कि यदि यह सोने वाला बालक जीवित है तो अवश्य कोई महापुरुष है, नहीं तो सांप ने इसका समाप्त कर दिया होगा। लोगों ने देख कर कहा, यह तो कालू पटवारी का पुत्र नानक है। राय बुलार के कहने पर लोग नानक जी को जगाने लगे तो वह सर्प उसी जगह अंतध्र्यान हो गया। नानक जी ने जाग कर देखा तो हाकिम राय बुलार खड़ा है। नानक जी ने लोक मर्यादा के अनुसार राय बुलार को सलाम किया। राय बुलार ने नानक को गले लगा कर माथा चूमा और सत्कार से बंदगी की। यह देख कर वहां खड़े सभी लोग हैरान हो गए और कहने लगे, भाई! पटवारी के पुत्र पर राय बुलार की बहुत कृपा है। फिर राय बुलार घर आया और कालू जी को बुला कर कहने लगा, पटवारी साहिब श्री नानक जी को आज से अपना पुत्र ही मत मानो और इसे झिड़की धुड़की कभी मत देना।

यह कोई महान् व्यक्तित्व का स्वामी है। परमेश्वर का विशेष भक्त है। मैं तो यही समझता हूँ कि इसी की कृपा से मेरा नगर आबाद है। कालू जी! आप धन्य हो जिस के घर में नानक जैसा महापुरुष बालक रूप में खेल रहा है।

कालू ने कहा, जनाब अभी तक तो वह कोई महापुरुषों जैसी बात नहीं करता। जो वस्तु घर से ले जाता है वह बाहर ही गुम हो जाती है। देखें वह दिन कब आता है जब इसे कुछ अक्ल उत्पन्न होगी। इतना कह कर कालू घर आया।

एक दिन नित्य की भांति श्री गुरु नानक देव पशु चराने के लिए वन में गये और वृक्ष की छाया में विश्राम करने लगे। शनैः शनैः सभी वृक्षों की छाया दूसरी ओर होने लगे, तीसरा पहर हो गया परन्तु जिस वृक्ष के नीचे गुरु नानक विश्राम कर रहे थे उस वृक्ष की छाया का रुख दूसरी ओर न जाकर एक ही स्थान पर स्थिर रहा। इस दृश्य को राय बुलार ने अपने नेत्रों से देखा तथा बंदगी करके चला गया। राय बुलार ने इस बात का खूब प्रचार किया कि पटवारी का पुत्र कोई महापुरुष है! जब नानक के पशु किसी का नुक्सान करते तो उलाहना लेकर लोग आते, तब पिता जी कहते, बेटा नानक! रोज़-रोज़ तुम्हारे खिलाफ लोग कहते हैं, ध्यान से काम किया करो। तब नानक जी कहते, पिता जी! आपकी आज्ञा सदैव मानूंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *