साखी गाय भैंस चराने की - Sakhi Cow-Buffalo Feeding

साखी गाय भैंस चराने की

एक दिन श्री बेदी कालू जी ने कहा-बेटा नानक! यदि तुम घर की गाय भैंस बाहर जाकर चरा लाया करो तो जहां यह पशु पेट भर कर आ सकते हैं। वहां तुम्हारा आलस्य भी दूर हो सकता है। भले ही नौकर चाकर इस काम पर लगा रखे हैं परन्तु मालक की देख रेख में पशु हृष्ट पुष्ट होते हैं। श्री कृष्ण भगवान अपनी गाय चराने के लिए जाया करते थे। वैसे तुम भी अपने पशु चराने जाया करो। यह मेरी हार्दिक इच्छा है। पिता आज्ञा श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने स्वीकार कर ली तथा गाय भैंस लेकर चराने के लिए जाने लगे। तब माता जी ने आपको भूख लगने पर कुछ खाने के लिए दे दिया। | गुरुदेव गाय और भैंस चराने के लिए उसी प्रकार घर से चले जैसे श्री कृष्ण बृज में जाया करते थे। गाय भैंस जंगल में एक ओर छोड़ कर गुरु नानक देव जी एकांत स्थान में बैठ गये, अपनी प्रकृति के अनुसार श्री गुरु नानक ईश्वर के ध्यान में समाधिस्थ हो गये।

उधर गाय भैंस चरती चरती हरी भरी सुन्दर खेती में जा घुसी। खेतों में से पेट भली प्रकार भर कर सभी पशु वहीं बैठ गये। खेती बहुत सी नष्ट भ्रष्ट हो गई। इतने में खेती का स्वामी आ गया। खेती को नाश देख कर वह गुरु नानक देव जी के पास आकर कहने लगा, हे नानक! मैं तुम्हें जानता हूँ तुम पटवारी के पुत्र हो मेरी खेती तमाम बर्बाद हो गई है इसका उत्तरदायित्व तुम पर है क्योंकि पशु तुम्हारे हैं। भाई तुम नये चरवाहे बने हो! इस प्रकार उस जाट ने कुछ अधिक भी कहा। तब श्री नानक देव जी ने कहा, भाई अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं, तेरी तो हानि नहीं हुई, फिर व्यर्थ बोलने में क्या लाभ है? यदि किसी बेज़बान पशु ने मुख मार लिया तो इतने रोष में क्यों आते हो? परमात्मा इसी में उन्नति कर देगा, चिंता न करो। नानक जी ने बहुत समझाया परन्तु वह जाट बोलता गया। अब झगड़ा बढ़ गया तब श्री नानक देव और वह जाट राय बुलार के पास आये, राय बुलार उस इलाके का हाकम था, जाट ने कहा-हजूर आपके पटवारी कालू बेदी के लड़के ने पशुओं द्वारा मेरी खेती उजाड़ दी है। सुनने वाले लोगों ने कहा, भाई नानक तो मस्त लड़का है, इसके पिता को बुलाओ। कालू जी आये। राय बुलार ने कहा, भाई कालू! तुम अपने लड़के को समझाओ। इस ने गरीब जाट की खेती नष्ट करवा दी है इसका वह मस्ताना कार्य आपत्तिकारक है। कालू ने उत्तर दिया हजूर यह बालक तो मस्त मौला है, कुछ काम नहीं करता। राय बुलार ने न्याय की दृष्टि से कहा अच्छा जो जाट की हानि हुई है, वह दे दो। तब नानक देव जी ने कहा- श्रीमान जी इस जाट का तो एक तिनका भी नाश नहीं हुआ, चल कर देखा जाय। मेरा कोई पशु इसकी खेती में नहीं गया।

जाट ने कहा हजूर! मैं झूठ नहीं बोलता खेती में तो एक बूटा भी नहीं रहा। अब खेती को देखने के लिये राय ने अपने सिपाही भेजे। सिपाहिओं ने देखा तो खेती बिलकुल ठीक थी। एक तिनका भी नुक्सान नहीं हुआ था जाट देख कर हैरान हो गया। सिपाही आकर कहने लगे, हजुर! खेती को तो रंचक भी हानि नहीं हुई। जाट को झूठा किया गया। कालू और गुरु नानक देव अपने घर को आ गये। यह है गुरु नानक देव जी की बाल लीला का एक दृश्य।

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