अनोखा सेवक - भाई हिंदाल जी - Anokha Sewak Bhai Hindal Ji (Guru Ram Das Ji)

अनोखा सेवक – भाई हिंदाल जी – Anokha Sewak Bhai Hindal Ji (Guru Ram Das Ji)

भाई हिंदाल गुरू जी के अनन्य सिख हुए हैं। आप जिला अमृतसर के जंडियाला नगर के रहने वाले थे। आप गुरू के लंगर में दिन रात सेवा किया करते थे। आए गए यात्री की सेवा करके उन को आत्मिक सुख मिलता था। सेवा में इतने लीन रहते थे कि गुरू दरबार में जाने का समय भी कभी-कभी ही मिलता था। वैसे हाथ सेवा की तरफ व सुरति शबद में जुड़ी रहती थी। भाई साहिब के ऊचे व निर्मल जीवन के कारण सिख संगत उन को बहत सम्मान से देखती थी। उन की सेवा की सुगधि गुरू रामदास जी तक भी जा पहुंची। एक दिन सतगुरू जी भाई हिंदाल जी को देखने के लिए लंगर में स्वयं आ गए। भाई साहिब आटा गूंथ रहे थे। सतगुरू जी को देख कर हैरान रह गए। हाथ धोने का अवसर भी न मिला पर आटे से गुंथे हाथों से गुरू चरणों पर नमस्कार करने में उन्होंने निरादर समझा। आटा लगे हाथ भाई साहिब ने पीठ के पीछे कर लिए और घुटनों के बल हो कर सतगुरू जी के चरणों पर गिर गए। उन का यह अनोखा ढंग देख कर सतगुरू जी मुस्कुरा पड़े। कृपा के घर में आ कर गुरसिख को थापी दी। भाई हिंदाल के उच्च व निर्मल जीवन को देखते हुए, गुरू जी ने उन को सिख धर्म का प्रचारक नियुक्त कर दिया। रवालक को खलकत में देखना सिख धर्म का एक जरूरी सिद्धांत है। निष्काम सेवा भी, तो ही हो सकती है यदि अपने अंदर बसने वाली प्रभु की ज्योति को, सब के हृदयों में बसा हुआ अनुभव किया जा सके। ऐसे सैभाग्यशाली मनुष्य ही, धर्म प्रचार की सेवा को निभा सकते हैं।

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