लाहौर से दहते के ननिहाल-गांव आने की खबर सारे शरीक बिरादरी में तुरंत फैल गई। सारे भाईचारे के लोग नानी तथा बच्चों को धैर्य-व हौसला देने आए। गुरू अमरदास जी भी आए। उनके कोमल हृदय में जेठा जी के छोटी आयु में अनाथ हो जाने की घटना के कारण उनको बहुत महसूस हुआ और वे इस अनाथ बच्चे का विशेष ध्यान रखने लग गए।