समाज सुधार - Society Improvement (Guru Ram Das Ji)

समाज सुधार – Society Improvement (Guru Ram Das Ji)

भारतीय समाज में स्त्रियों की बहुत दुर्दशा थी। गुरु नानक पातशाह ने सो कि मंदाः आरवी जित जंमहि राजान कह कर स्त्री की महानता को दर्शाया है। स्त्री को धर्म कार्यों व धर्म प्रचार की छूट दी। गुरु अमरदास पातशाह जी ने, पर्दे यानी घूघट की प्रथा और सती प्रथा के विरुद्ध प्रचार किया। गुरु रामदास जी ने इस काम में बहुत योगदान किया। आपने दहेज प्रथा का डट कर विरोध किया।

समाज में से समय के हाकिमों व चौधरियों का भय दूर करना बहुत जरूरी था। यह भय ही था जिसने लोगों को सदियों से गुलाम बनाया हुआ था। गुरु जी ने समझाया कि सभी हुकमरान, सिकदार, नवाब, शाह बादशाह व चौधरी चार दिन के मेहमान हैं। प्रभु की दृष्टि में इन का कोई स्थान नहीं है। वहीं मनुष्य सब से उत्तम है। जिसके हृदय में निर्भय प्रभु बसा हुआ है।

जितने साह पातिसाह उमराव सिकदार चउधरी सभि मिथिआ झूठु भाउ दूजा जाणु ॥ जितने धनवंत कुलवंत मिलखवंत दीसहि मन मेरे सभि बिनसि जाहि जिउ रंगु कसु्मभ कचाणु ॥

ओहु सभ ते ऊचा सभ ते सूचा जा कै हिरदै वसिआ भगवानु ॥ (रागु गौंड महला ४ पृ ८६१)

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