
13August
महान आत्म बलिदान के परिणाम (Shri Guru Teg Bahadur Ji)
गुरु तेग बहादुर जी के आत्म-बलिदान के फल-स्वरूप पर-शासित के हृदयों में एक ऐसी क्रांति-भावना पैदा हुई कि उसने स्व-प्रदर्शन एवं स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए कर्म-मार्ग को अपनाया तथा “सिर हथेली पर रखकर” इस मार्ग पर विचरण करते हुए, आत्म बलिदान दिए, प्राणों की बलि दी तथा दुःख व कष्ट सहारते हुए सिक्खी धर्म में दृढ व अडोल रहे| वह अटल दृढ़ता, जो गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी ने अंतःकरण को स्पर्श करके पैदा की शासन के जुल्म के समक्ष चट्टानवत अधल तथा अटल सिद्ध हुई| उस शासन व्यवस्था ने जनता को स्वतंत्रता, सहकारिता, पारस्परिक मित्रता, एवं सर्वव्यापी मानवता के अधिकारों से वंचित रखने में अपनी महत्ता समझी| गुरु तेग बहादुर जी का आत्म-बलिदान शासन एवं भेदभावी समाज के अत्याचारों के विरुद्ध, धर्म-आधारित सच्चाई को बगावत तथा विजय थी|