श्री गौरी अम्बे जी की आरती - Aarti Ambe Gauri Ki

श्री गौरी अम्बे जी की आरती – Jai Ambe Gauri Aarti

मैं तेरा कंगाल पुजारी सौ-सौ दीप कहाँ से लाऊं |
मेरे पास भक्ति है माता मैं उसी का दीप जलाऊँ |
मैं एक दिए की आरती उतारूं गौरी मैया | जय
जय अम्बे जगदम्बे गौरी जय अम्बे जगदम्बे |
धन होता तो सोना चांदी सुख से अर्पण करता |
हीरे मोती ला लाकर, मां तेरी झोली भरता |
मांगे हुए दो फूल से सिंगर करूं गौरी मैया | जय

ना मैं मांगू राजपाट मां और न चन्दा तारे |
मैं तो सुख दुःख में बस मैया पकडूं चरण तुम्हारे |
दिन रात तुम्हारा नाम ही पुकारूँ गौरी मैया | जय

मेरे सब कुछ तेरी मूरति माँ इससे तो आ जाओ,
मैं शाम सबेरे रास्ता निहारूं गौरी मैया | जय

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