ब्रहस्पतिवार व्रत की आरती - Brihaspativar (Thursday) Vrat Aarti

ब्रहस्पतिवार व्रत की आरती – Brihaspati Vrat Ki Aarti

ॐ जय ब्रह्स्पति देवा, जय ब्रह्स्पति देवा |
छिन छिन भोग लगाऊ फल मेवा ||

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी |
जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी || ॐ

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता |
सकल मनोरथ दायक, किरपा करो भर्ता || ॐ

तन, मन, धन अर्पणकर जो शरण पड़े |
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े || ॐ

दीन दयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी |
पाप दोष सभ हर्ता,भाव बंधन हारी || ॐ

सकल मनोरथ दायक,सब संशय तारो |
विषय विकार मिटाओ संतन सुखकारी || ॐ

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे |
जेष्टानंद बन्द सो सो निश्चय पावे || ॐ

 

ब्रहस्पतिवार वर्त की विधि इस प्रकार है:

  • इस दिन ब्रह्स्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है |
  • दिन में एक समय ही भोजन करें |
  • पीले वस्त्र धारण करें, पीले पुष्पों को धारण करें |
  • भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए |
  • नमक नहीं खाना चाहिए |
  • पीले रंग का फूल, चने की दाल, पीले कपडे तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए |
  • पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए |
  • इस व्रत से ब्रहस्पति जी खुश होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है |
  • यह व्रत महिलाओ के लिए अति आवश्यक है |
  • इस व्रत मे केले का पूजन होता है |

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