ॐ जय ब्रह्स्पति देवा, जय ब्रह्स्पति देवा |
छिन छिन भोग लगाऊ फल मेवा ||
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी |
जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी || ॐ
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता |
सकल मनोरथ दायक, किरपा करो भर्ता || ॐ
तन, मन, धन अर्पणकर जो शरण पड़े |
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े || ॐ
दीन दयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी |
पाप दोष सभ हर्ता,भाव बंधन हारी || ॐ
सकल मनोरथ दायक,सब संशय तारो |
विषय विकार मिटाओ संतन सुखकारी || ॐ
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे |
जेष्टानंद बन्द सो सो निश्चय पावे || ॐ
ब्रहस्पतिवार वर्त की विधि इस प्रकार है:
- इस दिन ब्रह्स्पतेश्वर महादेव जी की पूजा होती है |
- दिन में एक समय ही भोजन करें |
- पीले वस्त्र धारण करें, पीले पुष्पों को धारण करें |
- भोजन भी चने की दाल का होना चाहिए |
- नमक नहीं खाना चाहिए |
- पीले रंग का फूल, चने की दाल, पीले कपडे तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए |
- पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए |
- इस व्रत से ब्रहस्पति जी खुश होते है तथा धन और विद्या का लाभ होता है |
- यह व्रत महिलाओ के लिए अति आवश्यक है |
- इस व्रत मे केले का पूजन होता है |