बुधवार व्रत की आरती - Budhwar (Wednesday) Vrat Aarti

बुधवार व्रत की आरती – Budhwar Vrat ki Aarti

आरती युगलकिशोर की कीजै |
तन मन धन न्योछावर कीजै || टेक ||

गौरश्याम मुख निरखत रीजे |
हरि का स्वरुप नयन भरि पीजै ||

रवि शशि कोटि बदन की शोभा |
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ||

ओडे नील पीत पट सारी |
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ||

फूलन की सेज फूलन की माला |
रतन सिहांसन बैठे नंदलाला ||

कंचनथार कपूर की बाती |
हरि आये निर्मल भई छाती ||

श्री पुरषोतम गिरिवरधारी |
आरती करें सकल ब्रज नारी ||

नंदनंदन ब्रजभान, किशोरी |
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ||

 

बुधवार वर्त की विधि इस प्रकार है:

  • ग्रह शांति तथा सर्व – सुखो की इच्छा रखने वालो को बुधवार का व्रत करना चाहिए |
  • रात दिन में एक ही बार भोजन करे |
  • व्रत में हरी वस्तुओ का प्रयोग करना उत्तम है |
  • व्रत के अंत में शंकर जी की पूजा, धूप, बेल – पत्र आदि से करनी चाहिए |
  • कथा के बीच में नहीं उठना चाहिए |

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