मंगलवार व्रत की आरती - Mangalwar Tuesdays Aarti

मंगलवार व्रत की आरती – Mangalvar Vrat Ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||

जाके बल से गिरवर कांपे |
रोग दोष जाके निकट न झांके ||

अंजनी पुत्र महा बलदाई |
सन्तन के प्रभु सदा सुहाई ||

दै बीड़ा रघुनाथ पठाये |
लंका जारि सिय सुधि लाये ||

लंका सी कोट समुद्र सी खाई |
जात पवनसुत बार ना लाई ||

लंका जारि असुर संहारे |
सिया राम के काज संवारे ||

लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे |
लाये संजीवन प्राण उबारे ||

पैठि पाताल तोरि यम कारे |
अहिरावन की भुजा उखारे ||

बाये भुजा असुर संहारे |
दाहिने भुजा संत जन तारे ||

सुर नर मुनि आरती उतारे |
जै जै जै हनुमान उचारें ||

कंचन थार कपूर जलाई |
आरति करत अंजना माई ||

जो हनुमान जी की आरती गावै |
बसि बैकुंठ परमपद पावै ||

 

मंगलवार वर्त की विधि इस प्रकार है:

  • सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का वर्त उतम है |
  • इस वर्त में गेहू और गुड का ही भोजन करना चाहिए |
  • भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना चाहिए |
  • वर्त २१ हफ्तों तक रखे |
  • इस वर्त से मनुष्य के सभी दोष नष्ट हो जाते हैं |
  • वर्त के पूजन के समय लाल पुष्पों को चडावे और लाल वस्त्र धरण करे |
  • अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए |

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