चार भुजा तहि छाजै, गदा हस्त प्यारी | जय ०
रवि नंदन गज वंदन,यम अग्रज देवा |
कष्ट न सो नर पाते, करते तब सेना | जय ०
तेज अपार तुम्हारा, स्वामी सहा नहीं जावे |
तुम से विमुख जगत में,सुख नहीं पावे | जय ०
नमो नमः रविनंदन सब ग्रह सिरताजा |
बंशीधर यश गावे रखियो प्रभु लाज | जय ०
शनिवार वर्त की विधि इस प्रकार है:
- इस दिन शनि की पूजा होती है |
- काला तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द शनि को बहुत प्रिय है |
- शनि की पूजा भी इनके द्वारा की जाती है |
- शनि की दशा को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है |
- शनि सत्रोत का पाठ भी विशेष लाभदायक सिद्ध होता है |