सोमवार व्रत की आरती - Somvar Vrat Aarti

सोमवार व्रत की आरती – Somvar Vrat Ki Aarti

जय शिव ओंकारा जय शिव ओंकारा |
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्दाडी धारा || टेक

एकानन, चतुरानन, पंचानन राजे |
हंसानन गरुडासन बर्षवाहन साजै || जय

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अते सोहै |
तीनो रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहै || जय

अक्षयमाला वन माला मुंड माला धारी |
त्रिपुरारी कंसारी वर माला धारो || जय

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे |
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे || जय

कर मे श्रेष्ठ कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता |
जग – कर्ता जग – हर्ता जग पालन कर्ता || जय

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव जानत अविवेका |
प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनो एका || जय

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे || जय

 

सोमवार वर्त की विधि इस प्रकार है:

  • सोमवार का व्रत साधारणतय दिन के तीसरे पहर तक होता है |
  • व्रत मे फलाहार या पारण का कोए खास नियम नहीं है |
  • दिन रात मे केवल एक समे भोजन करें |
  • इस व्रत मे शिवजी पार्वती का पूजन करना चाहिए |
  • सोमवार के व्रत तीन प्रकार के है- साधारण प्रति सोमवार, सोम्य प्रदोष और सोलह सोमवार – विधि तीनो की एक जैसी होती है |
  • शिव पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए |

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