भैरो उचके भैरो कूदे भैरो सोर मचावे ||
मेरा ……. अमुक कार्य ……. ना करे तो कालिका का पूत न कहावे |
शब्द साँचा, पिण्ड काँचा | फुरे मंत्र ईश्वरो वाचा ||
विधि :-
इस मंत्र की साधना में श्री भैरव विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए होली की रात्रि में, सफेद या लाल मिट्टी से चौक बनाकर एरण्ड की सूखी लकड़ी और तेल का हवन करें| जब लौ प्रज्ज्वलित हो तब प्रज्ज्वलित लौ को चमेली के फूलों की माला पहना दें तथा सिन्दूर, मघ, मांस, दही बड़े, लड्डू, लौंग, पान-सुपारी आदि चढ़ाकर गुग्गल से हवन करें और ग्यारह माला इस मंत्र की जपें तो यह मंत्र सिद्ध हो जायगा| फिर जब कोई कार्य सिद्ध करना हो तो जहाँ मेरा (अमुक) कार्य लिखा है वहाँ अपना कार्य बोलते जपें और श्री भैरव जी से अपना ‘अमुक’ कार्य सिद्ध की प्रार्थना करें|