ॐ ह्लीं बगला-मुखि ! जगद्-वशंकरी
माँ पिताम्बरे, प्रसिद प्रसिद,
म्म – सर्व-मनोरथान् पूरय-पूरय हृलीं ॐ |
विधि :- श्री बगलामुखी के उपरोक्त मंत्र का दस सहस्त्र जप करने से सिद्धि मिलती है | साधक इस मंत्र की सिद्धि हेतु हल्दी, हरिताल, मालकांगनी (ज्योतिष्मती) को कूट कर कड़वा तेल मिला लें तथा नीम या बेर की लकड़ी अन्यथा खैर की लड़की की समिधा द्वारा नित्य अष्टोतर-शत हवन करें तो साधक को अभीष्ट सिद्धि प्राप्त होती है |
नोट :- हवन करते समय उक्त मंत्र के अन्त में “स्वाहा ” शब्द जोड़ कर अग्नि में आहुतियाँ छोड़ें तथा पूर्णाहुति देकर निम्न स्तुति का पाठ करें|