ॐ पंचांगुली महादेवा,श्री सिमन्धर-शासने |
अधिष्ठात्री करस्यासौ, शक्ति: श्रीत्रिदाशेशितु: ||
विधि :- पंचांगुली देवी का षोडशोपचार-पूजन कर उक्त मंत्र का जप करें | इस साधना को कार्तिक मास में हस्त नक्षत्र में प्रारम्भ कर मार्ग शीर्ष मास के हस्त नक्षत्र में पूर्ण करें | साधना काल में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर एक सौ आठ बार ( एक माला ) मंत्र जप एवं पंचमेवा की दस आहुतियाँ प्रतिदिन करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है | तदनन्तर प्रति दिन सात बार हाथ को उक्त मंत्र से अभिमन्त्रित कर उसे समस्त अंगों पर लिया करें | इससे देवी कृपा द्वारा साधक को हस्त रेखा द्वारा तथा जन्म कुण्डली बनाने में पर्याप्त सफलता-सहायता प्राप्त होती है |