जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश पाहि माम् | जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश रक्ष माम् || जय सरस्वती, जय अम्बे, जग जननी जय जगदीश्वरी, माता सरस्वती मोह – विनाशिन जय अम्बे, जय अम्बे, जय-जय जग जननी, जय-जय अम्बे | जय जगदीश्वरी माता सरस्वती मोह-विनाशिनी जय अम्बे || जय दुर्गे, जय दुर्गे, जय-जय दुर्गति नाशिनी, जय दुर्गे | आदिशक्ति पर-ब्रह्म-स्वरुपिणी भव-भय-नाशिनी जय दुर्गे || अम्बा की जय-जय, दुर्गा की जय-जय जपु माता की जय-जय || जपु जगद्- अम्बा ग्रही कर माला, बसो ह्रदय में बहु-चार बाला | काली-काली महाकाली, भद्रकाली नामोहतुते | देवि , देवि, महा-देवि, विष्णु र्देवि ! नमो नम: ||
विधि:- इस स्तुति को करने से श्री गणेश जी की कृपा बनी रहती है और साधक (स्तुतिकर्ता) को सद-बुद्धि बी विघा का लाभ प्राप्त होती है |