ॐ नमो समुद्र समुद्र में कमल | कमल में विषहर | बिच्छू
कहूँ तेरी जात | गरुड़ कहे मेरी अठारह जात, छ: काला,
छ: कावरा, छ: कूँ कूँ बान | उतर रे उतर, नहीं तो गरुड़
पंख हंकारे आन | सर्वत्र बिसन मिलई, उतर रे बिच्छू उतर |
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति | फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ||
विधि:- इस मंत्र को ग्रहण काल में जप कर सिद्ध कर लें फिर मंत्रोच्चारण करते हुए बिच्छू काटे हुए स्थान पर सात बार झाड़ा करें | तो वृश्चिक दंश स्तम्भन हो |