एक बार महिषासुर ने ब्रह्माजी से वरदान पाने के लिए कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे दर्शन दिए। ब्रह्माजी ने उससे वर मांगने को कहा तो महिषासुर ने कहा, “प्रभु! मुझे अमर कर दीजिए।” Read more about देवी दुर्गा की कथाएं …
एक बार महिषासुर ने ब्रह्माजी से वरदान पाने के लिए कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे दर्शन दिए। ब्रह्माजी ने उससे वर मांगने को कहा तो महिषासुर ने कहा, “प्रभु! मुझे अमर कर दीजिए।” Read more about देवी दुर्गा की कथाएं …
एक बार नारद के मन में यह अभिमान पैदा हो गया कि वे ही भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त हैं। वे सोचने लगे, ‘मैं रात-दिन भगवान विष्णु का गुणगान करता हूं। फिर इस संसार में मुझसे बड़ा भक्त कौन हो सकता है? किंतु पता नहीं श्रीहरि भी मुझे ऐसा समझते हैं या नहीं?’ Read more about ऐसे टूटा नारद का अहंकार …
एक बार देवर्षि नारद भगवान कृष्ण के पास द्वारका पहुंचे। भगवान कृष्ण ने सिंहासन से उठकर उनका स्वागत-सत्कार किया, और पूछा, “आओ नारद! कैसे आना हुआ?” Read more about मोह भंग हुआ नारद का …
देवलोक के शिल्पकार विश्वकर्मा की एक पुत्री थी। उसका नाम था-संज्ञा। वह दिन भर तपती धूप में खेला करती थी। सूर्य की तेज किरणों का जैसे उस पर कोई असर ही नहीं होता था। संज्ञा जब बड़ी हुई तो एक दिन विश्वकर्मा और उसकी पत्नी ने संज्ञा को बड़े मुग्ध भाव से सूर्य को निहारते देखा। यह देख विश्वकर्मा बोले, “देवी! ऐसा लगता है हमारी बेटी सूर्य पर मोहित हो गई है। देख रही हो, कितने मुग्ध भाव से सूर्य की ओर ताके जा रही है।” Read more about सूर्य और संज्ञा की कथा …