ॐ नमो आदेश गुरु को| नमो सिद्ध गणपति-प्रसादात् विघ्न हर्तुं गणपत गणापत वसो मसाण|
जो फल चोहुं, सो फल आण| पंच लाडुँ, सिर सिन्दूर | रिद्धि-सिद्धि आण| गौरी का पुत्र सिंहासन बैठा|
राजा कँपे, प्रजा कँपे | द्रष्टे राजा सिम चाँपे | पंच कोस, पूर्व-पश्चिम से आण! उतर से आण, दक्षिण से आण | इतनी कर रिद्धि -सिद्धि मारे घेर द्वारआण| राजा -प्रजा सभी मेरे पड़े पाँव ,न पड़े तो लाजे मैया गौरी| जो मैं देखूँ गणेश बाला कर मन्त्र का सत की फट् – फट् स्वाहा||
03NOVEMBER