पर्वत व्यायी अंजनी पुत्र जने हनुमंत, रोट लंगोट दरिया ही भुजा|
लोंग सुपारी जायफल पान का बीड़ा कोने लिया, या साहब जो लिया या किसको पूजा तेल |
हनुमान तो पूजा, सिन्दूर चढ़ाया किस अर्थ |
मूठा बंध वार बंध घोर बन्ध, तुष्ट बन्ध माठी बन्ध मसाणी बन्ध काली भेरव कलेजा बन्ध , कालू बंध दरवाजा बंध |
इतने को बंध, माता अंजनी | पिण्ड काँचा शब्द साँचा, फुरो मंत्र – ईश्वरो वाचा |
वाचे से टले तो खारे समुद्र में टले | कुम्भी पाक नर्क में गले, लोना चमारी के कुण्ड में गले ||
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