इहु जगतु ममता मुआ जीवण की बिधि नाहि ॥ Read more about विवाह शादियों की रस्मों में सुधार …
इहु जगतु ममता मुआ जीवण की बिधि नाहि ॥ Read more about विवाह शादियों की रस्मों में सुधार …
सतीआ एहि न आखीअनि जो मड़िआ लगि जलनि ॥ Read more about सती की अमानीय प्रथा तथा स्त्री जाति …
गुरु अमरदास जी ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा है : Read more about जात-पात का भेदभाव और धर्म (Shri Guru Amar Das Ji) …
भट्टों द्वारा गुर की स्तुति में उच्चारित बाणी की तरह गुरू ग्रंथ साहिब में राय बलवंड और सत्ते द्वारा उच्चारित रामकली की वार भी दर्ज है Read more about दैवी गुणों तथा ज्ञान के पुंज गुरू अमरदास जी (Shri Guru Amar Das Ji) …
पूर्वोक्त तरह का एक टिकाना, एक जरनैली सड़क के किनारे बसे मेहड़े गांव (परगना मुलाणा) के दुर्गा ब्राह्मण ने भी बना रखा था। Read more about दुर्गा ब्राहमण व ब्रहमचारी साधू से मेल …
भगता की चाल निराली ॥ चाला निराली भगताह केरी बिखम मारगि चलणा ॥ लबु लोभु अहंकारु तजि त्रिसना बहुतु नाही बोलणा ॥
खंनिअहु तिखी वालहु निकी एतु मारगि जाणा ॥ गुर परसादी जिनी आपु तजिआ हरि वासना समाणी ॥ कहै नानकु चाल भगता जुगहु जुगु निराली ॥१४॥
गुरू अमरदास जी ने ऊंची आत्मिक अवस्था प्राप्त करने के लिए केवल मात्र सच्चे सतगुरु की शिक्षा को सुनने तथा उस के अनुसार जीवन व्यतीत करने की ताकीद की है। Read more about सतगुरु को शिक्षा की आवश्यकता (Shri Guru Amar Das Ji) …
गूरु अमरदास जी कहते हैं कि जो मनुष्य अपने पेट अथवा स्वार्थ की ख़ातिर अनेकों पाखंड धारण करते हैं, जो कारोबार व परिभ्रम छोड़ कर दूसरों पर भार बन कर उनके घर से उदर पूर्ति करते हैं, Read more about साधु के लक्षण और पाखंड कर्म (Shri Guru Amar Das Ji) …
गुरबाणी ही इस संसार में आत्मिक मार्ग को रोशन करने के लिए प्रकाश स्तंभ का काम करती है। Read more about केवल गुरबाणी से मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता (Shri Guru Amar Das Ji) …
गुरू अमरदास जी ने सिखों को केवल मात्र एकाएक परमेश्वर का आश्रय लेने की हिदायत की है। परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और उस के समान बड़ी और कोई हस्ती नहीं है। Read more about अकालपुरख पर दृढ़ विश्वास (Shri Guru Amar Das Ji) …