विधि:
अहोई का व्रत दिन भर किया जाता है| जिस समय तारामण्डल आकाश में उदय हो जये उस समय वहाँ पर एक जल का लोटा रखकर चाँदी की स्याऊ और दो गुडिया रखकर मौली नाल में पिरो ले| तत्पश्चात रोली-चावल से अहोई माता के सहित स्याऊ माता का अरचे और सीरा आदि का भोग लगाकर कहानी सुने|