विधि:
यह व्रत बड़े नियम व निष्ठा से किया जाता है| इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है| इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को पंचमी को एक बार नमक रहित भोजन करना पड़ता है| षष्ठी को निर्जल रहकर व्रत करना पड़ता है| षष्ठी को अस्त होते हुए सूरज को विधिपूर्वक पूजा करके अर्ध्य देते है| सप्तमी के दिन प्रातकाल नदी या तालाब पर जाकर स्नान करना होता है| सूर्य उदय होते ही अर्ध्य देकर जाल ग्रहण करके व्रत को खोलना होता है|